उल्लूओं ने- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
उल्लुओं ने,
प्रभात को देखा।
गंजे ने लगा दी,
फौरन मेज पर मेवा।
लोमड़ी ने राग छेड़ा,
सब खेल हो गया टेड़ा मेड़ा।
तीखेलाल ने,
आज का समाचार।
कुछ यूं बताया,
आग लगा दी है।
हनुमान ने।
डालते रहे भर भर बाल्टी,
मगर कुछ काम ना आया।
सब कुछ खाक कर दिया अहंकार ने।
सोच रहा है करने की पलायन,
भर गया है,
बक्सा भ्रष्टाचार का चल रहा है।
छापा मारा अभियान।