काश मैं कोई चिड़िया होती
क्षणभर में उड़कर तेरे पास मैं आती
पल भर तेरे पास बैठ कर
अपने मन का हाल बताती।
काश की कोई पिंजरा न होता
अपने साथियों के संग
नीले गगन में मैं उड़ जाती
अपनी स्वतंत्रता का जश्न हर रोज मनाती।
काश की कोई शाकारी न होता
बेहिचक दुनिया की सैर लगाती
इस प्रकृति की शोभा को
काश मैं हर रोज निहारती।
काश कोई बंधन मेरे पास न होता
इस छलावे की दुनिया से
कुछ दूर अपनी कश्ती लगाती
काश मैं कोई चिड़िया होती।
----अनामिका