किसी ने क्या खूब कहा
किसी ने क्या खूब कहा
यदि तुम यह सोचते हो कि
हम अपने अराध्य की स्वयम् पूजा करते हैं
तो यह सत्य नहीं है
हम तो केवल पूजा में शामिल होते हैं
हम तो केवल उस भीड़ का एक अंग हैं
जो प्रत्येक क्षण उस अद्वितीय की आराधना में लगी है
सूरज,चन्दा,तारे ज्योत बन उनकी आरती करते हैं
नदियाँ ,झरने, वर्षा उन्हें स्नान कराते हैं
पेड़-पौधे अपनी हवा से उन्हें सहलाते हैं
समुन्दर की लहरें उन्हें मधुर संगीत सुनाती हैं
प्रकृति रंग-बिरंगे फूलों से उनके चरणों की वन्दना करती है
धरा कंदमूल फलों का प्रसाद उन्हें अर्पण करती है
हम कृतज्ञ हैं कि हम भी इस अकथनीय श्रृंखला के भागीदार बन सकते हैं ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




