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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ख़ुद एतमादी पर लिखे अशआर - डाॅ फौज़िया नसीम शाद


मैं हूं तख़्लीक़ अपने यारब की,
मुझको मिट्टी शुमार मत करना ।

ख़ुद से हमको है बस यही कहना ,
ख़ुद को ख़ोकर किसी के क्या होना ।

ज़िंदगी तुझसे इतना तो निभा ही देंगे ,
अपने होने की हभ ख़ुद ही गवाही देंगे ।

हमको जो समझे हमीं सा ,
हमसे बेहतर कौन होगा ।

किसी से कभी नहीं टूटेगा एतबार ,
ख़ुद से बस कीजिएगा उम्मीद ए बेशुमार ।

हर एक सांस की क़ीमत चुकाई है हमने ,
ज़िंदगी हमने कहां तेरा उधार रक्खा है ।

तामीर फिर भी करेंगे हम अपनी हस्ती को ,
अंजाम चाहें मिट्टी का मिट्टी ही होना हो ।

ख़ुद को मुर्दा शुमार न करना ,
लोग डरते हैं ज़िंदा लोगों से ।

ब़िख़र के तुझको दिखाऊं ये नहीं मुमकिन ,
हम अपनी ज़ात में सिमटे हैं अपने होने तक ।

आप मेरी जगह नहीं होंगे ,
मुझको मेरा हिसाब देना है ।

मैं बदलना अगर नहीं चाहूं ,
आप मुझको बदल नहीं सकते ।

जैसे भी दे सबक़ सीखेंगे आज भी ,
हम आज भी तेरे मुक़ाबिल हैं ज़िंदगी ।

हमको पहचान अपनी प्यारी थी ,
हम बदलते तो हम नहीं रहते ।

----डाॅ फौज़िया नसीम शाद




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