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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

इश्क़ की बीमारी

क़त्ल करके चाहत का अपनी हम उनकी शादी में जा रहे है,

तोहफ़ा भी लिया है हमने हम उनके शौहर से मिलके आ रहे है,

आँखों में ऑंसू छिपाए है हमने चेहरे से फिर भी मुस्कुरा रहे है,

सीने में दर्द उठा इस कदर जैसे अपना सब कुछ लुटा के आ रहे है,

पहले तो सब ठीक था लेकिन जब से है देखा उनकी माँग का भरना,

आँखों से आँसू बहते जा रहे है,

शौहर यूँ उनके बोले ये हमसे खाना खाकर जाना यहाँ से,

हम भी पक्के आशिक़ है देखो दो प्लेट बिरयानी खाकर आ रहे है,

आख़िर में दिल ने समझाया ये मुझको छोड़ो भी देखो ये दिल की बीमारी,

अगर हो गई है उनकी शादी महफ़िल में बहुत है कन्या कुँवारी,

नजर अपनी दौड़ाई हमने हमको मिल गई एक बेचारी,

नंबर दे गई कहकर ये हमसे दुल्हन तो देखो भाभी है हमारी,

अब हम उनके जीजा बनेंगे शौहर उनके हमारे पाँव पड़ेंगे,

खैर कर ली अब हमने चलने की तैयारी एक गई तो दूसरी से सेटिंग हो गई हमारी,

इसी तरह चलती रहे ये इश्क़ की बीमारी,

एक की जगह दूसरी युहीं मिलती रहे सवारी।

लेखक - रितेश गोयल 'बेसुध'




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

अगर दूसरी की तैयारी कर ली तो फिर चिंता की कोई बात नहीं। नहीं तो बेसुध की सुधि लेने वाला......... खूबसूरत लिखा है आपने।

Ritesh Goel replied

shukriya manoj ji

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