कापीराइट गीत
खिजां का फूल हूं कैसे बहार आएगी
बहार आई अगर ये गम हजार लाएगी
चले गए हैं अब वो ये दिल मेरा तोङ कर
ये कारवां गुजर गया साथ मेरा छोङ कर
बहार आई अगर तो ऐसे ही लौट जाएगी
खिजां का फूल हूं कैसे बहार आएगी
रक्स करते हैं गम ये आज दिल में मेरे
अश्क करते हैं सितम अब आंखों में मेरे
धूल का फूल हूं मैं कैसे बहार आएगी
खिजां का फूल हूं कैसे बहार आएगी
याद तेरी ये कभी मैं, भुला ना पाउंगा
किसी गली में तेरी, मैं अब नहीं आऊंगा
आंख की धूल हूं मैं, कैसे संवार पाएगी
खिजां का फूल हूं कैसे बहार आएगी
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है