कापीराइट गजल
आंखों में है जनाब ये सुरूर हल्का - हल्का
क्यूं चेहरे पे है नकाब हुजूर हल्का - हल्का
गिरने ही वाली हैं ये बिजलियां किसी पर
खिसकेगा जब नकाब हुजूर हल्का - हल्का
जी भर के देखने दो, ये हुस्न ये शबाब
ढ़लने दो अब हिजाब हुजूर हल्का - हल्का
मय पी लूं इन लबों से ये चाहता है दिल
चखने दो अब स्वाद हुजूर हल्का - हल्का
ऐसा न हो कहीं गुजर जाए ये जिन्दगी
सरकने दो ये नकाब हुजूर हल्का - हल्का
आओ मनाएं जश्न ये यादव के साथ में
छलने दो ये शराब हुजूर हल्का - हल्का
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है