वो गुलाब की कलियों सा नाजुक है,
कुछ बोलो तो बहुत जल्दी टूट जाता है,
शरारतें हैं उसमें बच्चों जैसी
बात न करो तो रूठ जाता है,
घर की खुशबू है वो
न रहता घर पर तो गुलाब के फूल जैसा मुरझा जाता है,
आता है जब लौटकर घर,
घर भी खुशियों से भर जाता है...।।
✍️ सुप्रिया साहू