इंसान की तन्हाई हद से ज़्यादा बढ़ जाए तो
वह कवि बन जाता है,
इंसान की ख़्वाहिशें मर जाए तो
वह कवि बन जाता है।
जब उसकी ज़िंदगी में गमों का सैलाब आ जाए तो
वह कवि बन जाता है,
जब उसे किसी की यादें दिन-रात सताए तो
वह कवि बन जाता है।
जब इंसान को अपने ही पराए बना दे तो
वह कवि बन जाता है,
जब इंसान को अपनों से भी ज़्यादा प्यार परायों से
मिले तो वह कवि बन जाता है।
दोस्त भी जब उसके दुश्मन बन जाए तो
वह कवि बन जाता है,
जब इंसान हर किसी से धोखा खाए तो
वह कवि बन जाता है।
जब इंसान को प्यार हो जाता है तो
वह कवि बन जाता है,
जब उसे उसका प्यार दग़ा दे जाता है तो
वह कवि बन जाता है।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️