शास्त्र एक है
शाश्त्रार्थ अनेक है
गीता एक है
गीतार्थ अनेक है
तत्व एक है
तत्वार्थ अनेक है
समस्या एक के कारण नहीं
समस्या अनेको के कारण है
शास्त्र पढ़ो और उसका अनुसरण करो
इससे ज्यादा शास्त्र का अर्थ नहीं
गीता सुनो और मौन हो जाव
इससे ज्यादा गीता का अर्थ नहीं
उस तत्व को जानो और मुक्त हो जाव
इससे ज्यादा तत्व का अर्थ नहीं
हम उलझे है अर्थो में
हम उलझे है दुसरो को समझाने में
कोई जरुरत नहीं है किसीको समझाने की
बस तुम मौन हो जाव
अमृत झरने लगेगा
गंध छाने लगेगी
भंवरों की फिकर मत करो
बस तुम खिल जाव
खिलने में मज़ा है
खिलने में आनंद है
हे भगवंत...
तुम आनंददायीl
✍️ प्रभाकर, मुंबई ✍️