DeaR PaPa..
जिसे पकड़कर चलना सीखा ,
फिर से वही हाथ चाहिए ।
जो कभी ना छुटे ,
वैसा हमें साथ चाहिए ।
चाहे कितनी ही बड़ी हो जाऊं ,
रहूंगी आपकी छोटी सी गुड़िया ही..
खुद की छोटी मोटी गलतियों में ,
आपकी वही पुरानी डांट चाहिए ।
पापा की परी नहीं ,
पापा की Pride बनूंगी ।
करोगे आप अपने ' तुलसी ' पर नाज़..
हासिल मै वह मुकाम करूंगी ।।
- तुलसी