वो अब नहीं तो क्या हुआ कभी तो क़रीब था
मगर दे गया अमिट ख़ुशबू यह भी नसीब था
जब तक रहा वजूद में किसी को कुछ ख़बर न थी
मर गया तब पता चला हाय उसका रक़ीब था
सबकी आँखों में हरपल खटकता ही रहा उम्र भर
रूख़सत होते हीं सब कहने लगे जाने वाला बड़ा हबीब था
अब क्या बताएंँ "श्रेयसी" क्या-क्या थी बात उसमें
निचोड़ है बस यही कि शख़्स बड़ा नजीब था