रात गुज़रेगी तन्हा फिर से,
दीप यादों के जलेंगे फिर से !!
कैसे समझायें अब खुद को..
समझ आता नहीं,
चर्चे बस उनके छिड़ेंगे फिर से !!
अब तो ना नींद है,
ना चैन है ना उम्मीदें !!
फिर भी रस्ता तकेंगे फिर से !!
हम तो जिन्दा हैं बस,
देखके तुझको जानम !!
रात रानी खिलेगी फिर से !!
----वेदव्यास मिश्र
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