कापीराइट गजल
ख्वाब सजा कर देखा
हमने एक ख्वाब इन आंखों में सजा कर देखा
जबसे जिन्दगी में तुम को अपना बना कर देखा
इस इश्क की दुनियां में बहुत ऊंची हैं इमारत
दिल की दुनियां में एक घर जब बना कर देखा
तेरे इस ऊंचे घर को, जब भी देखा है हमने
कैसे पाएंगे तुम को ये अन्दाज लगा कर देखा
मोहब्बत की दुनियां में, ख्वाब बिकते हैं बहुत
अपने दिल में जब ख्वाबों को सजा कर देखा
कितनी सूनी सी लग रही है, यह जिन्दगी अपनी
जब इन उम्मीदों को नए पंख, लगा कर देखा
इन आंसुओं के पिंजरे में कहां जी पाएंगे हम
जब दिल को आजाद परिंदों सा उङा कर देखा
तुमसे मिलने की चाहत को ना रोक पाए यादव
जब से हमने तुम से, यह दिल लगा कर देखा
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है