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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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कविता की खुँटी

                    

ख्वाब सजा कर देखा

कापीराइट गजल

ख्वाब सजा कर देखा

हमने एक ख्वाब इन आंखों में सजा कर देखा
जबसे जिन्दगी में तुम को अपना बना कर देखा

इस इश्क की दुनियां में बहुत ऊंची हैं इमारत
दिल की दुनियां में एक घर जब बना कर देखा

तेरे इस ऊंचे घर को, जब भी देखा है हमने
कैसे पाएंगे तुम को ये अन्दाज लगा कर देखा

मोहब्बत की दुनियां में, ख्वाब बिकते हैं बहुत
अपने दिल में जब ख्वाबों को सजा कर देखा

कितनी सूनी सी लग रही है, यह जिन्दगी अपनी
जब इन उम्मीदों को नए पंख, लगा कर देखा

इन आंसुओं के पिंजरे में कहां जी पाएंगे हम
जब दिल को आजाद परिंदों सा उङा कर देखा

तुमसे मिलने की चाहत को ना रोक पाए यादव
जब से हमने तुम से, यह दिल लगा कर देखा
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (9)

+

सरिता पाठक said

लाजबाब रचना, ईश्वर से से प्रार्थना करती हूँ आपने अपनी आँखों में और ह्रदय मे जो ख्वाब सज़ा रखे हैं उन्हें जरूर पूरा करें प्रणाम सर जी 👌👌🙏🙏

Lekhram Yadav replied

रचना आपको पसन्द आई इसके लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सरिता जी, आपको सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

Nand Kishor said

लाजबाब रचना 🙏👍

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक शुक्रिया जनाब।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाकई, इश्क की दुनिया आसमान से भी ऊंची है, जिसे इश्क हुआ बाहों में पंख लगा कर उड़ा,पर ऊंचाई कहां तक है आज तक समझ न पाया।सादर प्रणाम 🙏🌹🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद समदिल सर, आपको सादर नमस्कार

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Sarvpratham Aadarneey Yadav sir ji ko saadar pranaam....🙏🙏..
Behad khoobsoorat rachna...khashkar ke
तेरे इस ऊंचे घर को, जब भी देखा है हमने
कैसे पाएंगे तुम को ये अन्दाज लगा कर देखा
Panktiyan dil ko chhoo gayin....aapki rachnaon ko padhne se ek alag hi sukun milta hai...
Aapki rachnayein hamein aise hi padhne ke liye milti rahein or prerit karti rahein...

Lekhram Yadav replied

आदरणीय अशोक कुमार पचौरी आर्द्र जी, आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार एवं धन्यवाद, मगर ये बात समझ नहीं आई कि आप आधी प्रतिक्रिया हिन्दी भाषा में करते हैं और आधी रोमन में, जबकि ये वेबसाइट आपकी अपनी है और कलम भी आपकी अपनी ही है, वैसे इतनी खूबसूरत और प्रेरणादायक प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक स्वागत है, आपको सादर नमस्कार।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

माफ़ी चाहुंगा श्रीमान मुझे भाषा के इस्तेमाल का ख्याल रखना चाहिए था आपका बहुत ही आभार आगे से गलतिया ना हो ख़याल रखुंगा आपका आभार एवं प्रणाम

Lekhram Yadav replied

कोई बात नहीं सर, कभी-कभी चलता है।

शिवचरण दास said

बहुत खूब

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद सर।

सुभाष कुमार यादव said

बेहतरीन ग़ज़ल। एक-एक शेर लाजवाब। 👌👌🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं पुन: स्वागत है सर, आपको सादर नमस्कार।

श्रेयसी said

वाह-वाह बहुत सुंदर लाज़वाब रचना सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद मेरी प्यारी बहना, आपको सादर नमस्कार।

रीना कुमारी प्रजापत said

कितनी सूनी सी लग रही है, यह जिन्दगी अपनी
जब इन उम्मीदों को नए पंख, लगा कर देखा

इन आंसुओं के पिंजरे में कहां जी पाएंगे हम
जब दिल को आजाद परिंदों सा उङा कर देखा.... क्या बात है बहुत खूब🙏🙏 सादर प्रणाम

Lekhram Yadav replied

आपको तो ये सिर्फ गजल लग रही होगी मगर ये हमारी जिन्दगी की वो अधूरी हकीकत है, जिसे हम किसी को बताने में असमर्थ हैं, गजल पसन्द करने के लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं स्वागत और आपको सादर नमस्कार।

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