खग केली करने लगे
प्रेम निर्झर भरने लगे
धरा पर छाई नव तरुणाई
नभ पर आई नव अरुणाई ।
स्वर्ग धरा पर छा गया ।
अरे ! ऋतुराज आ गया ।।
कवि - श्री उमाशंकर जी
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नभ पर आई नव अरुणाई ।
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अरे ! ऋतुराज आ गया ।।
कवि - श्री उमाशंकर जी