कविता : बेइज्जती....
मैंने तुम को अपना
दिल दिया था
तुम से मैंने प्यार
ही तो किया था
सोचा तुम एक कोमल
फूल हो पर निकली कांटा
काफी लोगों के बीच
तुम ने मारी मुझ पर चांटा
तुम ने तो मुझ को
पूरा ही हिला दिया
मेरा प्यार सच में तुम ने
मिट्टी में मिला दिया
इतना सब कुछ कर ही लिया
तो एक चक्कर और चला दो
मैं यहां जी कर भी क्या करूंगा ?
अब मुझ को लकड़ी से जला दो
मैं यहां जी कर भी क्या करूंगा ?
अब मुझ को लकड़ी से जला दो.......
netra prasad gautam