ख़यालो की दुनियां...
मन के आँगनमें मोती तूं ले आएं
सोचमें गुल ये गुलशन तूं लाएं
ओ पागल पवन तूं भी उसमें समाएं
भांगे भांगे थोड़े जज़्बात मेरे
हसीन अरमान उसमें उफ़ान लाएं
थोड़ा ठहर के आहिस्ता वो सताएं
भींगे भींगे सपनोंमें बहार की मौसम आएं
मचलते शब्दों की रंगत का रंग छाएं
चाहत की सौम्य एक रंगोली रचाएं
नशा ऐसा लग जाएं होश भी न आएं
चलते चलते ठहराव आएं
जाते रुकते कदम थम जाएं
अफ़सोस नहीं,सारे ख़्वाब सज है गए
एहसासमें वो खिल है गए
ख़्यालो की दुनियांमें अब बस है गए

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




