खाते से पार किये, करोड़ों के वारे- न्यारे हो गए।
चोर लुटेरों के सरदार, राजे -महाराजे हो गए।
चूस कर खून बच्चों का,चल रहा महंगी कारों में।
लत लगी है अय्याशी की, जाये रोज बाजारों में।
नियम और कानूनों को ताक पर रखकर,
जीना किया है दुश्वार।
पैंठ बनी है, सत्ता के गलियारों में।
हुआ क्या ऐसा, ऐ!"विख्यात"
सिरफिरे ने धर दी एक सरकारी लात।
सुरक्षा में हुई चूक, दर्शक बने मूक।
ये खबर छपी है, अखबारों में।
मुंह कर गया काला, भ्रष्टाचारियों का।
बीच बाजार में।