अपना ये है कि कोई मस'अला नहीं होगा
तुमसे बिछड़ा तो कोई दूसरा नहीं होगा
तुम तो गैरों से मिलके इज्जते उछाले हो
याद रखना कोई अब राब्ता नहीं होगा
तेरे अल्फाजों में छुपे हैं बहुत ही खंजर
मर भी जाऊं तो कोई वास्ता नहीं होगा
तुमको जाने की जिद है और मुझको मरने की
दूसरा कोई अजी रास्ता नहीं होगा
मेरी जुदाई में कुछ साजिशें थी लोगों की
आज देखूं तो कोई ग़म-ज़दा नहीं होगा
तेरे तीरों से, तेरे तानों से बरी अब हूं
रब ने चाहा तो कोई हादसा नहीं होगा
तेरा इरफ़ान तुझसे आज अभी कहता है
मुहब्बत इब्तिदा है इंतहा नहीं होगा