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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कवि और कविताएं - अशोक सुथार

आज कवि दुखी है,
विपत्ति में कौन सुखी है ,
या अनहोनी को होनी कह दू
या वाणी को मोन ही रहने दू

लेकिन केवल भावनाओं से संसार ना चलता है ,
ऐसे ही कवि का पेट न पलता ,

बिन बाती न दीपक जलता ,
घर का बड़ा बेटा सबसे पहले जीवन पथ पर चलता ,
लाचारी को मैं प्रणाम करता

जो गम मुझे परायों से मिले ,
रो रो कर मैंने कर दिया तकिये गीले

पराए भी अपने हो जाए ऐसा कोई मन ही नहीं ,
गैरों से अपने अपनों के दुश्मन कुछ कम ही नहीं

यह मोत तु मंद मंद ना आ,
पहले अलार्म बजा फिर मुझे आजमा,

सपनों के संसार में इस कदर खो गया ,
पता ना चला कब सवेरा हो गया,

मेरा जीवन भी सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जैसा हो गया क्योंकि
अपनों के जाने का गम लगे मुझे परमाणु बम

----अशोक सुथार




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Sundar Rachna mahoday

Muskan Kaushik said

Jaha na phuche ravi bha pahuche kavi..well said👌👌

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

रो रोकर कर दिए तकिए गीले, जानदार, शानदार, कड़क पंक्ति वाह, बहुत सुंदर! अशोक जी सादर नमस्कार!

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