दिल ने जब से, तुम्हें अपना समझा
मुनासिब तुमने, दूर रहना समझा
ज़िक्र तक नहीं करते, ज़माने से
क्यूं हमें, ग़ैर, इतना समझा
कनखियों से कभी, देखा तक नहीं
पराया तक नहीं, नहीं अपना समझा
तुम्हारा दिल, कैसे धड़कता है
हमारे दिल का, ना धड़कना समझा
ये प्यार है, या कोई फलसफा
पता नहीं, हमने, ये क्या समझा।
सर्वाधिकार अधीन है