झूठ का बोझ- डॉ एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात '"
झूठ बोलता है जो मन,
भय में रहता है दिन रात।
सच छिपाने का डर,
छाया बनता है लगातार।
कल्पनाओं के जाल में,
फंस जाता है वो बेचारा।
सच बोलने का साहस खोता,
ढूंढता रहता है सहारा।
झूठ का बोझ दिल पर भारी,
नींद उड़ जाती है आँखों से।
हर पल लगता है,
कि पकड़ा जाएगा।