ये कैसा शहर है सांस आती नही पूरी।
गाँव जा भी नही सकता तमन्ना अधूरी।।
गली के ज्यादा घर बगैर रोशनदान के।
खिड़कियाँ तो हैं मगर बन्द रहती पूरी।।
किराया भरने के बावजूद क्या सुनता।
जल्दी आया करो अंधेरे से रखो दूरी।।
बाहर की रोटी से कब तक कटेंगे दिन।
पानी खरीद कर पीते 'उपदेश' मजबूरी।।