गर वक्त बुरा हो समय कठिन
और दुख में गुजरे हर पल छिन
उस पल अपनेपन का इक स्वर
दे जाता है इक अर्थ नया
जब प्यास बड़ी हो, सागर रूठा
हर नदिया का हो तट सूखा
उस वक्त ओस का छोटा कण
दे जाता है इक अर्थ नया
जब सूरज तम से डर जाये
और अंधकार घिर कर आये
उस वक्त दीपीका की किरणें
दे जाती है इक अर्थ नया
जब सहज नही पीछे हटना
और हो मुशिकल डट कर रहना
उस वक्त नया साहस भरने
मकड़ी का उद्धरण हो जाना
दे जाता है इक अर्थ नया
जब धूप तेज हो राह विकट
पथ में न हो छाया का वट
उस क्षण नभ में छोटा बादल
दे जाता है इक अर्थ नया
-रंजना पटेल "अंतरा"