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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

काश कह पाते तुम से

कापीराइट गजल

काश कह पाते तुम से दिल की बातें
गुजर रहे हैं अब कैसे मेरे ये दिन ये रातें

शिकायत है क्या हमसे हम जानते नहीं
कर रहे हो तुम कैसी अब न जाने ये बातें

वही देखा सुना तुमने जो तुम्हें बताया गया
काश फैसले भी सभी अपने तुम ले पाते

न जाने किस को तुम मानते हो अपना
काश अपनों को दिल से तुम समझ पाते

यह खून के रिश्ते भी होते हैं बड़े अजीब
क्यूं हर रिश्ते को दिल से निभा नहीं पाते

जिन से उम्मीद थी हमें हद से भी ज्यादा
करते हैं वही हम से अब दूर से बातें

पास रह कर के भी तुम मेरे पास न थे
कर न पाएंगे कभी तुमसे दिल की बातें

इस तरह से क्यूं परेशां हो रहे हो यादव

काश खुद को भी कभी तुम समझ पाते

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

Shyam Kumar said

Ham dusro pr dyan dete dete khud ko bhul jate hain. Bahut sundar likha aapne

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात श्याम कुमार जी आपकी टिप्पणी ने मुझे आसमान पर पहुंचा दिया है, इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।

रीना कुमारी प्रजापत said

काश! खुद को भी तुम कभी समझ पाते, बहुत बढ़िया

Lekhram Yadav replied

नमस्कार मेरी प्यारी बहना । आप की प्रतिक्रिया के दो शब्द मुझे उत्साह और प्रेरणा से भर देते हैं। इसके लिए आपका हार्दिक आभार एवं धन्यवाद ।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Yadav sir pranaam sweekar karein, aur ab to dil ki baatein kah hi daalein.

Lekhram Yadav replied

सर प्रणाम सहित हार्दिक धन्यवाद। आपके सिवाय कोई दूसरा है ही नहीं सुनने वाला, इसलिए आपसे ही कह रहे हैं।

Komal Raju said

Pas rh kr bhi tum pas na the kr na paaynge tumse dil ki baate

Lekhram Yadav replied

भाई कोमल राजू जी धन्यवाद सहित आपको प्रणाम।

Uma Shri said

Waah! Bahut khoob 👏👏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय उमा श्री जी आपका मेरी इस छोटी सी दुनियां में हार्दिक स्वागत एवं नमस्कार। इतनी प्यारी प्रतिक्रिया के लिए मैं आपका दिल से आभार व्यक्त करता हूं।

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