क्या दोस्त ऐसे ही होते हैं ?
सूरज की तरह
जो बिन मोल हमारे जीवन को हर दिन उजाले से भर देते हैं
हवा के जैसे
जो दिखती नहीं फिर भी हर पल हमारे साथ है हमारे जीने की वजह है
आसमान के जैसे
जो हमारे जीवन के अन्धकार को चाँद-सितारों के दीयों से जगमगा देते हैं
प्रकृति के जैसे
जो हमारी ज़िन्दगी को रंग-बिरंगी ऋतुओं से खुशहाल बना देते हैं
या धरती जैसे
जिसे लेना आता ही नहीं सिर्फ़ बेशुमार झोलियाँ भरने की आदत है
पर्वत ,नदियाँ,झरने ,बरसातें सब बेनाम दोस्त हैं
यदि दोस्त की परिभाषा यही है
तो क्या ?हम भी दोस्ती निभाते हैं इनसे
सुना है
रिश्ता कोई भी हो, एक तरफ़ा नहीं चलता
तो थोड़ा ही सही इनका ध्यान रखते हैं
क्यों ना हम भी दोस्ती में एक कदम बढ़ा लेते हैं ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




