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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

अरे ओ हरिया

गब्बर- ओ हरिया, जरा देख तो जरा, ये कहां हैं।
हरिया - हुजूर ये तो बताइए किसको देखूं।
गब्बर- अरे ये अशोक पचौरी आर्द्र और रीना कुमारी प्रजापत को खोज जरा।
हरिया - सरदार, ये दोनों तो दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आ रहे इस महफिल में, कहीं वो वेदव्यास मिश्र के मुशायरे में ना चले गए हों। आप क्यूं खोज रहे हो।
गब्बर - हूं, लगता है वो लेखराम यादव की महफिल में गए हैं।
हरिया - सरदार, यादव तो पहले ही कुछ उदास दिखाई दे रहा है, उसके यहां तो नहीं गए।
गब्बर - सरदार, यादव सर ने कल एक गजल - 'शायरी की दुनियां में' पोस्ट की थी, लेकिन इन दोनों ने उस पर नजर तक नहीं डाली और आज भी तीन गीत लिखनतु डाॅट काम पर डाली थी, इन्होंने उसे घास तक नहीं डाली।
गब्बर - हूं तो ये बात है , फिर वो कहां जा सकते हैं।
हरिया - सरदार सच कहूं तो आप बुरा तो नहीं मानेंगे।
गब्बर - बताओ तुम कौन सी गजल की खिचाई पका रहे हो।
हरिया - सरदार आजकल इन दोनों को 'ख्वाब' वाली गजल पसन्द है। ये कवि लोग ठहरे ये अपनी गजल सुनाने में उस्ताद हैं, किसी की गजल सुनने से इन्हें परहेज हैं। कल यादव ने इनकी पोल पट्टी अपनी गजल में खोल कर रख दी। ये दोनों तभी से गायब हैं।
गब्बर - अच्छा तो अब समझा वो क्यों नहीं नजर आ रहे। अपने सारे जासूसों काम पर लगा दो और इन्हें यहां पर पकङ कर लाओ। हम भी तो देखें कितना दम है इन दोनों में।
हरिया - सरदार मैं अभी से सब को काम पर लगा देता हूं और शाम तक खोज कर आपके सामने पेश करता हूं।
गब्बर - आदेश की पालना की जाए।
हथियार - जी सरदार।
------- क्रमशः शेष कल के एपिसोड में -----------------


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Umda Yadav Sir. Sabse pahle to aapke bulaane ka andaaz pasand aaya...bahut khoob...maafi chahunga kuch ghazal ya geet avashya hi chuk rahe hain lekin samay ke abhav ke karan pahuch nahi paaya ...abhi dauda dauda ja raha hun gabbar ke jasuson se peecha chudwaayein huzur...

Lekhram Yadav replied

अब आया ना ऊंट पहाङ के नीचे तभी इतना कुछ लिख डाला मेरे लिए। अब किसन शब्दों में धन्यवाद करूं आपका।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Abhi tak picchey pade huye hain...jaan ka dar hai jaan rahegi to kahan rahega...

Lekhram Yadav replied

थैंक्स सर गुस्ताखी के लिए क्षमा चाहता हूं ।भविष्य में ऐसी नामाकूल हरकत बिल्कुल नहीं करेंगे।

अर्पिता पांडेय said

क्या बात है सर जी बड़े गुस्से में है मेरे से तो नहीं

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात मैम आपसे हम बिलकुल भी गुस्से में नहीं हैं बस हम आपकी अनुपस्थिति को मिस कर रहे थे। अगर आपको ऐसा लगा तो मैं क्षमा चाहता हूं।कृपया मुझे माफ करें।

रीना कुमारी प्रजापत said

😀 बहुत सुंदर लिखा भय्या, वैसे ये कौनसी पोल पट्टी कौनसी ग़ज़ल में खोली है जरा बताना तो... आपकी ग़ज़ल "शायरी की दुनिया में" ढूंढी थी मैने पर मिली नहीं...

Lekhram Yadav replied

मेरी प्यारी बहना नमस्कार। यही तो वो गजल है जो हमने लिखी थी जिसका नाम है 'शायरी की दुनियां में' । अगर ये आप पढ़ लेती तो न गब्बर आपके वारंट निकालता और न ही हरिया के आदमी आपकी तलाश करते। खैर कोई बात नहीं अभी पढ़ लेंगी आपका केस खत्म नहीं तो बङी मुश्किल हो जाएगी। आप अपना ख्याल जरूर रखना। शुभ रात्री।

रीना कुमारी प्रजापत said

अरे नहीं भय्या! मैं कहां ग़ज़ल सुनाने में उस्ताद हूं मैं तो एक छोटी सी कवयित्री हूं उस्ताद तो आप है हम तो फैन हैं आपके

Lekhram Yadav replied

अरी बहना वो पचौरी साहब तो कह रहे थे आप बहुत अच्छी कवियित्री होने के साथ-साथ बहुत अच्छी गजलकार भी हो। खैर कोई कुछ भी कहे मुझे इस बात से क्या लेना लेकिन मुझे तो आपकी रचनाएं बहुत पसंद हैं।

रीना कुमारी प्रजापत said

अभी अभी ढूंढ के पढ़ी है आपकी "शायरी की दुनिया" बहुत अच्छी है....

Lekhram Yadav replied

शुक्र है आपने पढ़ ली आपका बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूं। शुभ रात्री मेरी प्यारी बहना।

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