छोड़ गए क्यों राहों में
पकड़ के मेरी बाहों को
जब आंख खुली तो
सब कुछ गायब
आग लग गई
अरमानों में।
मैं चलता तो था
खुद ब खुद
मिल क्यों तुम
सहारों में।
जब दिया आसरा तो
बेघर क्यों किए
जिंदगी की तूफानों में
दर्द इतना गहरा की
कुछ भी न हुआ
मयखानों में ।
अब तो दिल की
चिंगारियों से
लगी आग
मधुशालों में।
अब तो कहीं के ना रहें
मैं और मेरा दिल
बस कट रही जिंदगी
सवालों में।
अब तो कट रही जिंदगी
बावलों में...
बस कट रही जिंदगी
सवालों में...