सिक्के की खनक
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
खनक सुनो इस सिक्के की, ये आवाज़ पुरानी है।
हर दौर में इसने लिखी, एक नई कहानी है।
यह जिसके पास टिक जाए, उसकी इच्छा पूरी हो।
जिससे यह रूठ जाए, उसकी किस्मत अधूरी हो।
समय भी इसके इशारों पर, अक्सर ठहर जाता है।
और वक्त से तेज़ चलकर, यह हर मुकाम पाता है।
यह शिक्षा की सीढ़ी है, यह स्वास्थ्य की गारंटी।
बाज़ार में इसकी हुकूमत, इसकी चलती वारंटी।
यह झोपड़ी को महल बनाए, यह नाम को इज़्ज़त दे।
जो मूक खड़ा है कोने में, उसे अधिकार और हिम्मत दे।
तुम आदर्शों की बातें छोड़ो, ये व्यवहार की सच्चाई है।
जहाँ पैसा नहीं पहुँचता, वहाँ केवल तन्हाई है।
यह न्यायालय के दरवाज़े भी, अक्सर खोल देता है।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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