उलझन मौत की है मेरे आगे
जिंदगी और क्या है मेरे आगे
पड़ी है ये दुनिया मेरे पीछे
पहरा मौत का है मेरे आगे
न साथ जायेंगे है जो मेरे पीछे
आग का दरिया है मेरे आगे
बीत गया सारा दिन उलझन में
रात अभी बाकी है मेरे आगे
मेरे अपने ही तो है वो सारे
लश्कर लेकर खड़े है मेरे आगे