कविता : एक दुखड़ा....
अपने लिए तो सिर्फ काटें
न एक फूल है
जिंदगी पूरा का पूरा
प्रतिकूल है
इधर उधर कोई
अपना रहा नहीं
जिसको मैंने चाह उसने
मुझ को चाह नहीं
तसर्थ उदास
उदास मुखड़ा है
किस को क्या कहूं ?
यही मेरा दुखड़ा है
किस को क्या कहूं ?
यही मेरा दुखड़ा है.......
netra prasad gautam