हे स्वर दायिनी हे ज्ञान दायिनी
तुम ही मां वेद माता
हे हंस वाहिनीं हे वीणा वादिनी
अपनी वीणा से
ऐसी झंकार दो दूर हो अंधियारा
अरु ज्ञान का प्रकाश हो
तेरी वीणा के स्वर सृष्टि में विद्यमान हो
कण कण में लय ताल हो
गीतकार को गीत मिलें
कवियों को संगीत मिलें
छंद अलंकार से युक्त
रचनाएं हो
रस का आविर्भाव हो
जन-जन भाव विभोर हो
मुझे ऐसा ही वरदान दो
#अर्पिता पांडेय