प्राकृतिक
वाह रे मुर्गे की अलसाई
जब सूरज पर छाई तरुणाई
तब मुर्गे ने बांग लगायी
लगता है मुर्गे को भायी अलसाई
सच कहा गया है
घोर कलयुग है भाई
लगता है मुर्गे ने पाश्चात्य कीरिम है लगायी
लगा पाउडर और पहन टाई
उसने खाई टोस्ट मक्खन और मलाई
जब मिनट की सुई दस पर आई
तब मुर्गे ने बांग लगायी
वाह रे मुर्गे....
जब मुर्गा होए अलसाई
तब कोई कैसे जगे भाई
यह बात आज समझ में आई
वैज्ञानिकों ने अलार्म घड़ी क्यों बनाई
पर मुर्गे का क्या दोष भाई
मुर्गी ने उसे यह कहावत सुनाई
जब जागो तभी सवेरा है भाई
वाह रे मुर्गे....
#अर्पिता पांडेय