तुम खुलें आसमान को देखो,
तब भी मैं काम करता हूं,
तुम बदलते हालातों को देखो,
तब भी मैं काम करता हूं,
तुम आंखों में अपनी जगह देखते हो,
तब भी मैं काम करता हूं,
तुम विचारों में घुलकर देखो,
तब भी मैं काम करता हूं,
तुम शांति से जीओ,
तब भी मैं काम करता हूं
तुम भविष्य की सोचों,
तब भी मैं काम करता हूं
मैं कर्म पथ पर हूं,
इसे मैं बदल नहीं सकता।।
- ललित दाधीच।।