यह उन्मादी विचार अच्छा है
पर याद रखना कि घर तुम्हरा
भी कच्चा है।
ये जो दंगा फसाद
अपनों में छिड़ा संग्राम है।
इसके भी सूत्रधार आप हैं।
तपन से इसके तुम भी
ना बच पाओगे।
दुश्मनी की आग में
खुद झुलस जाओगे।
देश पंथ संप्रदाय तो
सदियों से फल फूल रहें है
तुम खुद उड़ जाओगे।
अभी भी वक्त है
नहीं सुधरे तो
एक दिन खुद हीं सुधर
जाओगे।
उन्मादी विचार सब छू
मंतर हो जायेंगें
जन अपनों की चिताये
देखोगे।
जीते जी मर जाओगे
यार बड़ा पछताओगे..
मेरे यार बड़ा पछताओगे..