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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कहीं ऐसा न हो जाए

कापीराइट गजल

मेरी जिन्दगी में कहीं ऐसा ना हो जाए
मैं देखता ही रहूं तुझे और दिल खो जाए

न जाने कैसा जादू तेरी इन आंखों में है
जो देख ले एक बार तुझे वो तेरा हो जाए

मैं पीछे चलता हूं तुम्हारे रोज साये की तरह
कहीं ये साया तेरे तन से जुदा ना हो जाए

यही सोच कर के हम डर रहे थे अब तक
कहीं दिल ये मेरा अब पराया ना हो जाए

गुस्ताखियां जो कभी की थी इन आंखों ने
अब ये इल्ज़ाम कहीं दिल पर ना आ जाए

तुझे छोड़ के जाना मुमकिन नहीं है अब
चाहे धड़कन ये दिल की कहीं गुम हो जाए

ये भी मंजूर है हम को अब इश्क में तेरे
खता जो आंखों ने की है सजा हमें हो जाए

हमने कोशिश बहुत की है, तुमको पाने की
जो हुआ नहीं है अब तक वो भी हो जाए

देखना न कभी तुम इस दिल के जख्मों को
गर कोई जख्म मेरे दिल का हरा हो जाए

इस मंजिल पर ये रौशनी कैसी है यादव
अन्धेरी रात में भी जैसे यूं सवेरा हो जाए

- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

क्या बात है लाजवाब 👌 प्रणाम स्वीकार करें 🙏 सुप्रभात

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित सुप्रभात मेरी प्यारी बहना।

वन्दना सूद said

खूबसूरत ग़ज़ल 🙌🏻🙌🏻

Lekhram Yadav replied

नमस्कार वन्दना जी, आपको गजल पसन्द आई उसके लिए आपका बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद।

Komal Raju said

Bahut sundar vichar hain. Ati uttam

Lekhram Yadav replied

धन्यवाद सहित नमस्कार कोमल राजू जी। आपकी प्रतिक्रिया मुझे सकारात्मक उर्जा प्रदान करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी, आपको हार्दिक प्रणाम।

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