पहले तीन थे,
स्वयं ही हस्ताक्षर करते।
जो लिख दिया,
पत्थर की लकीर समझते।
दाल में कुछ काला होने से,
दाल ना गली।
फिर काकी ताई को ,
बुला लिया गया।
सुना है,
तड़का लगाने में माहिर है।
डस लिया जिसको,
बचा न वह,
जग जाहिर है।
मगर एक खिलाड़ी ने,
उसकी दुम पर।
निशाना लेकर,
हथोड़ा मार दिया।
चारों खाने चित्त,
चारों ही।
छोड़ काली दाल,
शमशान पहुंचा दिया।