आरम्भ भी करेंगे और,
अंत भी हम ही करेंगे,
सोचना है तुमको जो,
वो सोच लो।
वार जिस तरह है करना,
उस तरह से वार करलो,
पीठ में भी खंजर भोंक,
कर देख लो।
चाल सब विफल ही होंगी,
काल भी ठहर जायेगा,
पलटवार जब हम करेंगे,
ये भी सोच लो।
सब यहीं रखा रहेगा,
साथ में जायेगा कुछ भी,
अंत में भला भी होगा,
ऐसा वैसा कुछ न विचारना।
बुरा ही होगा अंत भी,
करोगे जब बुरा ही तुम,
तब उतना ही करना; जितना कि,
तुम सह सको।
----अशोक कुमार पचौरी
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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