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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

आरम्भ भी करेंगे और, अंत भी हम ही करेंगे - अशोक कुमार पचौरी


आरम्भ भी करेंगे और,
अंत भी हम ही करेंगे,
सोचना है तुमको जो,
वो सोच लो।

वार जिस तरह है करना,
उस तरह से वार करलो,
पीठ में भी खंजर भोंक,
कर देख लो।

चाल सब विफल ही होंगी,
काल भी ठहर जायेगा,
पलटवार जब हम करेंगे,
ये भी सोच लो।

सब यहीं रखा रहेगा,
साथ में जायेगा कुछ भी,
अंत में भला भी होगा,
ऐसा वैसा कुछ न विचारना।

बुरा ही होगा अंत भी,
करोगे जब बुरा ही तुम,
तब उतना ही करना; जितना कि,
तुम सह सको।

----अशोक कुमार पचौरी




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

हमारा हाल ए दिल बयां कर दिया भय्या आपने अपनी इस कविता में, वाकय आरंभ भी हम ही करेंगे और अंत भी हम ही करेंगे 👌 बहुत बहुत बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका बहुत बहुत आभार आपकी प्रतिक्रिया पाकर धन्य होगया ऐसा लग रहा है जैसे स्वयं सरस्वती जी आशीर्वाद दे रही हैं आपका आभार

वन्दना सूद said

Very very nice 👏👏bilkul sahi likha ki jitna sehan kar sako utna hi kasht do kisi ko 👌👌

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Thank you mam, aapne kendra ko samjha bahut khushi huyi, thank you very much for this nice reaction 🙏🙏

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