मोर माटी के खुशबू उड़ागे
दरूहा मन के फेफड़ा सिरागे,
कई पाय के करये उदीम,
घर के सोना बेचागे,
कइसे बताओ संगवारी,
मोर माटी के खुशबू उड़ागे....।।
पईसा के लालच म,
सरकार आंधरा होंगे,
देश ल चलात चलात,
अपन घर बनागे,
कइसे बताओ संगवारी,
मोर माटी के खुशबू उड़ागे...।।
बूढ़हा जवान नई देखीस दारू ह,
सबला धीरे-धीरे भीतरी ले खागे,
थकगे घर के लोग लइका ह,
सनसो फिकर म फांसी लगा गे,
कइसे बताओ संगवारी,
मोर माटी के खुशबू उड़ागे...।।
आनी बानी के दवाई ला के,
माटी ल बंजर बना गे,
नई होये अब गोबर खत्ता म धान,
किसान के बुद्धि अटागे,
कइसे बताओ संगवारी,
मोर माटी के खुशबू उड़ागे...।।
इकतीस सौ कुंटल म धान लुहू कईके,
इकतीस दिन दऊड़ा गे,
नई कटपाये टोकन दौड़ धूप करे ले,
आधा किसान कर्जा म फसयागे,
कइसे बताओ संगवारी,
मोर माटी के खुशबू उड़ागे...।।
- सुप्रिया साहू


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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