शुक्र गुज़ार हूँ मैं उसकी जिसने मुझे अपनाया
अपनापन दिखाकर अपनापन भी निभायाा ।
किस्मत को हमने एक जैसा ही पाया
हम दोनों ही अब एक दूजे का हैं साया
रोता देख मुझे वो संग मेरे रोया है
संग संग अपनी हंसी को, दुख में उसने मेरे खोया हैं।
खुशियों के पल उसने मेरे संग बाँटे हैं
जीवन के पथ से निकाले उसने अनगिनत कांटे हैं।
दुख के पलों में जब कोई भी नहीं था साथ
मेरे ही हाथों में था तब भी उसका हाथ।
यूं ही हमारा साथ बना रहे जीवन भर
दुनिया चाहे इधर हो या हो उधर।
- राशिका


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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