जीवन से जैसे कोई जब रूठने लगे
धैर्य जब साथ न दे मन टूटने लगे
हृदय की स्थिति की पीड़ा न पूछिये
हाथों से डोरी प्रीत की जब छूटने लगे
प्रतीत होंगी तुझको तुझमें भी मैं कहीं
मुझको मेरी तरह से जो तू सोचने लगे
जीवन में मैं पुनः न स्मरण करूं तुझे
बस एक विचार से ही मन डूबने लगे
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद