जिस शख्स को सलाम किया है तमाम उम्र
उसने ही इंतकाम लिया है तमाम उम्र
बेशक़ सजा के आज हम हकदार हैं बहुत
हमने खुदा का नाम लिया है तमाम उम्र
कुछ लोग इसलिए भी नाराज हो गए हैं अब
गिरतों को हमने थाम लिया है तमाम उम्र
हमने तो जिस के वास्ते दी जान हँसते हँसते
उसने ही घर नीलाम किया है तमाम उम्र
काजल की कोठरी है ये इश्क हकीकत में
सबने इसे बदनाम किया है तमाम उम्र
अब दास उसके वास्ते यहां तो मय हराम है
जिसने नजर का जाम पिया है तमाम उम्र II
अमर उजाला मेरे अल्फाज से रचना

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




