कोई आए कोई जाए अब फर्क़ नही पड़ता।
जो रम रहा अन्दर उससे मन नही मिलता।।
बहुत हो गया अब सवाल रहने दे वफ़ा के।
सफ़ाई देकर भी अन्दर सुकून नही मिलता।।
वो खुश हैं शायद मेरे वगैर तो रहने दे उसे।
काली रात में खोजने पर मून नही मिलता।।
खुद से इश्क करना बेहतर लगता 'उपदेश'।
है तो कई मगर सब का जुनून नही मिलता।।
ग़म का वास्ता समझे ही नही आज तक हम।
लोग कहते उनका चाल-चलन नही मिलता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




