तू थी मेरी ज़िंदगी में तो,
शामें सुहानी होती थी।
तू थी मेरी ज़िंदगी में तो,
रातें सुकून से कटती थी।
अब दूर चली गई है तू मुझसे,
अब शामें सुहानी नहीं होती,
रातों को आंखों में नींद नहीं होती।
ऐ मेरी जान तू लौट आ फिर से,
तेरा इंतज़ार है मुझे........
तू थी मेरी ज़िंदगी में तो, यादें ना थी।
तू थी मेरी ज़िंदगी में तो,
अश्कों की बरसाते ना थी।
अब दूर चली गई है तू मुझसे,
अब तो फ़क़त यादें ही साथ है,
हो रही अश्कों की बरसात है।
ऐ मेरी जान तू लौट आ फिर से,
तेरा इंतजार है मुझे..........
तू थी मेरी ज़िंदगी में तो,
तन्हा ना था मैं।
तू थी मेरी ज़िंदगी में तो,
दर्दों से अनजाना था मैं।
अब दूर चली गई है तू मुझसे,
अब तन्हा मैं रह गया,
दर्दों से वाक़िफ़ मैं हो गया।
ऐ मेरी जान तू लौट आ फिर से,
तेरा इंतज़ार है मुझे..........
"रीना कुमारी प्रजापत"