हम हँसते हैं,
तो लगता है जैसे दिल के फूल खिले हैं।
पर असल में?
हम सिर्फ कैमरे के लिए मुस्कुरा रहे हैं।
क्योंकि असली चेहरे पर तो झुर्रियाँ और थकान है—
पर पर्दे पर चमक ज़रूरी है।
हम कहते हैं—“मैं खुश हूँ।”
लोग मान लेते हैं।
और हम?
आंतरिक रूप से सोचते हैं—
“क्या बेवकूफ समझ रहे हो मुझे?”
हम प्यार में नाटक करते हैं,
दोस्ती में नाटक करते हैं,
काम में नाटक करते हैं,
और खुद के साथ भी नाटक करते हैं।
कितनी शानदार भूमिका निभाई हमने—
कि कभी हम भी भूल गए कि हम कौन हैं।
हमारी ज़िन्दगी—सचमुच, एक फिल्मी ट्रेलर है,
हर कोई सोचता है—“वाह! कितनी रोमांचक!”
पर बैकस्टेज में?
कबड्डी-कबड्डी खेलते हैं हमारी असफलताएँ,
और हम उन्हें भी हँसते-हँसते दबा देते हैं।
हमारे सपने?
ओह, सपनों का तो तोहफ़ा है—
हमने खुद के लिए बनाए,
और फिर खुद ही उन्हें बेच दिया।
क्योंकि जीवन में कोई वास्तविक नायक नहीं है,
सिवाय हमारे अभिनय करने वाले ईगो के।
हम सारे अभिनेता और अभिनेत्री हैं,
लेकिन सिर्फ अपने निजी हास्यपूर्ण दुःख के लिए।
और यही सबसे बड़ी कॉमेडी-ट्रैजेडी है—
कि हम खुद को देखकर हँसते हैं,
और दुनिया को देखकर भी।
हम हँसते हैं, रोते हैं, प्यार जताते हैं—
सब दिखावे के लिए।
कभी-कभी तो खुद से भी झूठ बोलते हैं,
“मैं ठीक हूँ।”
और वही झूठ
हमें सबसे बड़ा अवार्ड दिलाता है—
‘सबसे चतुर अभिनेता अपनी ज़िन्दगी में’।
हमारे भीतर का नाटक—
सच और झूठ का अद्भुत संगम है।
कभी हम खुद को जीतते हुए दिखाते हैं,
पर अंदर से हार चुके होते हैं।
कभी हम दूसरों की तारीफ करते हैं,
पर दिल में व्यंग्य की आग जल रही होती है।
हमारे सपनों का प्रोडक्शन—
कभी हमारे हिस्से में आता है,
कभी कट जाता है एडिटिंग में।
और हम—
सिर्फ ऑडियंस की तालियों के लिए खुश रहते हैं,
कि देखो, कितने परफेक्ट अभिनेता हैं हम।
और हाँ, हम कभी-कभी सोचते हैं—
“क्यों नहीं कोई असली नायक आ जाता?”
पर जवाब हमेशा वही मिलता है—
हमारे अंदर ही सब नायक और खलनायक हैं।
हम खुद ही कॉमेडी और ट्रैजेडी के लेखक हैं।
हमारे जीवन का सबसे बड़ा स्क्रिप्ट—
हमारे हास्यपूर्ण दर्द पर लिखा गया है।
और यही सबसे बड़ी हकीकत है—
कि हम सब अभिनेता और अभिनेत्री हैं,
लेकिन दर्शक सिर्फ हमारे सपनों और भ्रमों को देखते हैं।
हम सब मंच पर आते हैं,
और हर कोई सोचता है—“वाह! कितने मासूम, कितने सहज।”
पर सच?
हमारे कदम खुद से भी छिपते हैं,
हमारी हँसी हमारी आत्मा पर भारी होती है,
और हमारे आँसुओं का कोई क्रेडिट कार्ड नहीं होता।
हम हर रिश्ते में अभिनय करते हैं—
माँ, बहन, प्रेमिका, दोस्त, सहकर्मी, बॉस…
और खुद के लिए?
बस रोल का ब्रेक।
कभी-कभी हम खुद से कहते हैं—
“बस, अब मैं असली मैं बनूँगा।”
और फिर एक नया दृश्य आता है—
और वही पुराना नाटक शुरू।
हमारे सपनों की दुनिया में,
हर कोई सुपरस्टार है।
लेकिन पर्दे के पीछे?
हर कोई ग्लिटर में लिपटे डर और अकेलेपन से जूझता है।
हम अपनी कमजोरी छिपाते हैं
जैसे कोई मास्टर स्ट्रोक,
और दुनिया तालियाँ बजाती है—
पर हम जानते हैं, यह सिर्फ साउंड इफेक्ट है।
हम प्यार में भी अभिनय करते हैं,
कभी दिल से, कभी केवल स्क्रिप्ट के लिए।
और सबसे मजेदार—
हम खुद को भी बेवकूफ बनाते हैं,
कि यही सच है, यही असली ड्रामा है।
हमारे भीतर की असली कहानी—
नाटक, हास्य, दर्द, और व्यंग्य का मिश्रण है।
हर रात, जब रोशनी बुझती है,
हम अकेले अपने रिकॉर्डिंग रूम में बैठते हैं,
और खुद से हँसते हैं—
“वाह, क्या अद्भुत अभिनय किया मैंने आज!”
लेकिन अंत में…
हम सब जानते हैं, पर्दा गिरते ही
कोई हमसे सवाल नहीं करेगा,
कोई हमारी असली आत्मा नहीं देखेगा।
और हम?
हम मुस्कुराते हुए अपने अगले रोल की तैयारी करते हैं—
क्योंकि हम सब अभिनेता और अभिनेत्री हैं,
और यही हमारी सबसे क्रूर, सबसे व्यंग्यपूर्ण और सबसे सच्ची पहचान है।