ज़िंदा हूँ, तो हर सांस में त्योहार रखता हूँ,
ग़म आए भी तो हँसकर इज़हार रखता हूँ।
ज़िंदगी ने लाख हर रंग दिखाए अपने,
पर मैं दिल में बस इक किरदार रखता हूँ।
ना शिकवा, ना कोई सवाल करता हूँ,
हर पल जैसे कमाल करता हूँ।
कभी धूप में मुस्कुरा के चलता हूँ,
कभी बारिश में ख़्वाब संवारता हूँ।
जो बीत गया, हवाओं में छोड़ आया,
जो आने वाला है, उस पर भरोसा लाया।
ज़िंदा ख़ुश — यही तो फ़लसफ़ा है मेरा,
हर दिन जैसे तोहफ़ा रब ने बनाया।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







