कोहनों से सरकना,
सरकते - २ उठना ,
उठ कर चलना,
चलते - २ गिरना ,
गिर कर संभलना ,
संभल कर उठना ,
उठकर फिर चलना,
चलकर फिसलना ,
फिसल कर सरकना,
सरक २ कर भटकना,
भटक कर ठोकरें खाना,
ठोकरें खाते -२ सुधरना,
सुधर कर पथ चुनना ,
बीत जाती है जिंदगी,
हो जाते है घुटने - कोहने,
असहाय तुच्छ और बौने ,
जीवन की सरकाहट में !
➖ राजेश कुमार कौशल