तुम मिले
इस क़दर
की प्यार
होने लगा।
मोहब्ब्त का
सिलसिला
जैसे कोई
शुरू हुआ।
गुलों में रंग
भरे तेरे
नाम का।
मन ये बावरा
बन के बदरा
इधर उधर
भागने लगा
तुम इस
क़दर मिले
की प्यार होने लगा।
सिलसिले से चल
पड़ें मोहब्बत के
दिल फिर ना
रुक पाया
तेरे बिना
उड़ चला ये मन भी
लागे ना मन एक पल
भी कहीं पर
सिर्फ़ तेरी ओर
भागने लगा..
तुम मिले
इस क़दर
की प्यार होने
लगा..
तुम आरज़ू
तुम इल्तेज़ा
तुम ख्वाहिशें
तुम खुशी
तुममें हसी
तुममें हीं
मुझे जन्नत
नज़र आने
लगा।
मिट गईं ये
दूरियां
ये फासलें
तू पल पल
करीब आने लगा
तुम मिले इस
क़दर की प्यार
होने लगा..
प्यार होने लगा..
इज़हार होने लगा
प्यार होने लगा...