अजनबी शहर में ये चेहरा ही काम आएगा
अगर रुआब नहीं है तो सबसे डांट खायेगा
लगोगे तुम गले खुद यूंही गर जाके लोगों के
ना कोई बात बोलेगा ना कोई पास आएगा
निकालो कान से सुनके सभी बेकार हैं बातें
दिया है ध्यान जिसने थोड़ा वो मात खायेगा
हसीं चेहरा भी है मिलता कहीं कातिल लुटेरा
लुटाया दिल है जिसपे आखिर में मार जायेगा
भला ये शहर कैसा है यहाँ दिनरात है रौनक़
कोई सोता नहीं है दास तो क्या जाग पायेगा