कापी राइट गजल
शायरी की दुनियां में हैं बहुत गुमनाम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम
रहती है इनकी नजर डिनर और लंच पर
सुनते नहीं किसी की जब ये होते मंच पर
अपनी सुनाने के लिए ये हैं बहुत बदनाम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम
मुफ्तखोरी और फककङपन की ये मिसाल
बन गया गालिब कोई मीर और कमाल
अब तुम बजाओ तालियां इन शायरों के नाम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम
जब कल्पना की नाव पर ये करते हैं सफर
हर बात में हैं घोलते ये झूठ का जहर
फिर पिलाते आपको ये शायरी। का जाम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम
ये सोचते हैं रात दिन कैसे बजेंगी तालियां
कौन कौन फैंकेगा टमाटर कौन देगा गालियां
शायरों की महफिल में क्यूं मच गया कोहराम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम
जल्दी ना कर यादव नम्बर तेरा भी आएगा
इनकी काली सूची में नाम तेरा छ्प जाएगा
यादव तुम भी हो गए संग इनके बदनाम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है