Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

Newसभी पाठकों एवं रचनाकारों से विनम्र निवेदन है कि बागी बानी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करते हुए
उनके बेबाक एवं शानदार गानों को अवश्य सुनें - आपको पसंद आएं तो लाइक,शेयर एवं कमेंट करें Channel Link यहाँ है

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

शायरी की दुनियां में

कापी राइट गजल

शायरी की दुनियां में हैं बहुत गुमनाम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम

रहती है इनकी नजर डिनर और लंच पर
सुनते नहीं किसी की जब ये होते मंच पर
अपनी सुनाने के लिए ये हैं बहुत बदनाम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम

मुफ्तखोरी और फककङपन की ये मिसाल
बन गया गालिब कोई मीर और कमाल
अब तुम बजाओ तालियां इन शायरों के नाम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम

जब कल्पना की नाव पर ये करते हैं सफर
हर बात में हैं घोलते ये झूठ का जहर
फिर पिलाते आपको ये शायरी। का जाम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम

ये सोचते हैं रात दिन कैसे बजेंगी तालियां
कौन कौन फैंकेगा टमाटर कौन देगा गालियां
शायरों की महफिल में क्यूं मच गया कोहराम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम

जल्दी ना कर यादव नम्बर तेरा भी आएगा
इनकी काली सूची में नाम तेरा छ्प जाएगा
यादव तुम भी हो गए संग इनके बदनाम
कुछ हो गए मशहूर कुछ हो गए बदनाम
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob mashallah Yadav Sir..maafi chahunga der se upsthiti ke liye...Uttam bahut khoob...

Lekhram Yadav replied

हम शायरों की यही तो आदतें हैं सर। अपनी आदत से मजबूर होकर इसे लिखना पङा। मेरी इस रचना से किसी भी व्यक्ति को कष्ट हुआ हो तो क्षमा चाहता हूं।

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन